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मेरा लेख , मेरी सोच

आज कुछ लिखने का मन है ,
मन की ख्वाईश में छिपी ख़ुशी का रास्ता तलाशना है ,
लगन के शिखर को छू कर आना है ,
याद के समंदर में डूब कर कुछ नायब मोती तलाशने है |

गप -शप करते लम्हो से कुछ कहना है,
की आज तम्हारी बातें मुझे भी सुन्नी है ,
सालो पुरानी दादी नानी की कहानिया आज याद  करनी है,
हंसी की नग्मे आज भी देखने है ,
घर की पुरानी दरारों में आज भी अपने निशाँ देखने ,
खट्टी मीठी लोक झोक आज फिर करनी है |

कतरा कतरा कर आज सपनो को बटोरना है ,
दुनिया आज जो सपना बन कर  रह गयी ,
उसका अहसास कर सबको बताना है  ,
हर दिन की हक़ीक़त बदलनी है ,
एक नयी उम्मीद में की कल मंजिल पानी है |

दिमाग में चल रहे ख्यालो से रूबरू होना है ,
छोटे छोटे पाइयो के सहारे जीवन चलना  है ,
रात आ गयी अब तो चाँद सा शीतल हो कर चमकना है,
कल एक नयी सुबह आएगी एक नए दिन के साथ ,
एक नयी उमंग के साथ दिल से उसका स्वागत करना है | 

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12 Comments

Bharat Singh rawat

01-Nov-2021 06:54 PM

बहुत खूब आदरणीया

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अति सुन्दर रचना दिक्षा जी बहुत-बहुतबधाई

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Diksha Srivastava

25-Jun-2021 02:22 PM

shukriya

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🤫

24-Jun-2021 11:54 PM

मन के भावों को गढ़ने की शानदार कोशिश..!

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Diksha Srivastava

25-Jun-2021 02:22 PM

shukriya

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